Bihar Vidhan Sabha

In order to trace the genesis of the present day Legislature of Bihar, let us turn the pages of modern history. During the rule of the East India Company, the area of Bihar was made a part of the Bengal Presidency. On 12th December, 1911 the British Emperor George V announced in his Delhi Durbar, the creation of a separate province by combining Bihar and Orissa, with Patna as its headquarter. Sir Charles Stuart Bayley, was appointed as first Lieutenant-Governor of the Province.

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इतिहास के पन्नों से ......



■ दुनिया के प्रथम गणराज्य वैशाली से लेकर आज की बिहार विधान सभा तक की एक लंबी यात्रा रही है । आज बिहार भारत का एक राज्य है लेकिन कभी कंधार से लेकर कन्याकुमारी तक का स्वामित्व बिहार के जिम्मे था उस समय यह बिहार नहीं मगध साम्राज्य था । 07 फरवरी, 2021 को सौ वर्ष पूरे होने पर निर्णय हुआ कि बिहार विधान सभा भवन का शताब्दी वर्ष मनाया जायेगा । शताब्दी वर्ष केवल एक आयोजन नहीं बल्कि सौ साल की यात्राओं को स्मरण करने, उसकी प्रेरक बातों का अनुकरण करने तथा कुछ भूलों को सुधारने का प्रयास होता है ।
■ महामहिम राष्ट्रपति महोदय ने भी बिहार विधान सभा की इस ऐतिहासिक यात्रा में आने की सहमति देकर जो सराहनीय कार्य किया है उसके लिए हम लोग जितने आभारी हों कम है ।
■ बिहार भले 1912 में स्थापित हुआ परंतु 1920 में बिहार और उड़ीसा प्रांत को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद 07 फरवरी, 1921 को विधान सभा के नव निर्मित भवन में बैठक प्रारंभ हुई । पुरानी से नई विधायी व्यवस्था तक पहुँचने की बिहार की व्यवस्था लंबी है । बिहार हमेशा से सभ्यता और शक्ति का केन्द्र रहा है जिसने अपने समृद्ध राजनीतिक, ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक परंपरा से पूरे विश्व को आलोकित किया है । इस शताब्दी वर्ष के आयोजन से सकारात्मक वातावरण का निर्माण होगा ।
■ प्राचीन काल में कभी मगध, अंग, विदेह, वज्जीसंघ, अंगुत्तराप, कौशकी आदि के रूप में चिन्हित भौगोलिक क्षेत्र को ही आज बिहार के रूप में जाना जाता है । ईसा पूर्व छठी शताब्दी में मगध साम्राज्य के तहत इस भू-भाग को राजनैतिक एकता प्राप्त हुई । गंगा और सोन नदी के तट पर अवस्थित पाटलिपुत्र मगध साम्राज्य का केन्द्र बिन्दु बना । काल खण्ड बदलता गया परंतु बिहार की अस्मिता अक्षुण्ण रही । 18वीं शताब्दी के मध्य में अंग्रेजी शासन के दौरान बिहार का भू-भाग बंगाल प्रेसीडेंसी का अंग बना परंतु बिहारवासी अपनी सक्रियता एवं कर्मठता के बल पर अलग पहचान बनाये रखने में सफल रहे । बिहार को बंगाल से अलग करने की माँग लगातार उठती रही । इस संबंध में सबसे महत्वपूर्ण दिन 12 दिसंबर, 1911 था जब ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम ने दिल्ली दरबार में बिहार एवं उड़ीसा को मिलाकर बंगाल से पृथक एक राज्य बनाने की घोषणा की एवं इसका मुख्यालय पटना निर्धारित किया ।
■ हम सब लोगों की कामना और प्रयास है कि बिहार में एक नई पहल हो, सकारात्मक वातावरण बने ताकि अपने गौरवशाली इतिहास को बिहार फिर दोहराये ।

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    माननीय सदस्यों एवं राज्य की जनता से अपील.....

माननीय सदस्यगण,
आप सभी जिस गंभीरता और निष्ठा से सदन चलाने में अपनी सकारात्मक भूमिका निभा रहे हैं, वह प्रशंसनीय है। यह लोकतंत्र को मजबूत करने का सार्थक प्रयास है।
आप सभी जन समस्याओं के समाधान के लिए मर्यादापूर्वक अपनी बातों को सदन में रख रहे हैं और सरकार की सजगता एवं संवेदनशीलता के कारण जिस प्रकार शत-प्रतिशत प्रश्नों के जवाब मिल रहे हैं, यह विधायिका, कार्यपालिका और करोड़ों बिहारवासियों के लिए गर्व का विषय है। इसकी सकारात्मक चर्चा और प्रसारण होना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य है कि हम नकारात्मक बातों की चर्चा कर देते हैं और सकारात्मक बातें दबी रह जाती हैं। सकारात्मक बातों की चर्चा से लोगों के मन में उत्साह और प्रेरणा मिलती है। हमारा नैतिक कर्त्तव्य क्या हो, इसका ज्ञान सभी जनप्रतिनिधियों और बुद्धिजीवियों को होना चाहिए
सदन के अध्यक्ष होने के नाते हमारी जवाबदेही बनती है और लोग हमसे पूछते हैं। आप सब लोगों के समय और विश्वास पर हम खरे उतरें और सदन की प्रतिष्ठा बढ़े यह हमारी ही जिम्मेवारी नहीं, बल्कि हमसब की जिम्मेवारी है
माननीय सदस्यगण, आज जन प्रतिनिधियों को अग्निपरीक्षा देनी पड़ रही है। चारों तरफ से विभिन्न तरह की नकारात्मक शक्तियाँ हमें दबोचने के लिए तैयार बैठी हैं, इसलिए हमें उनसे बहुत सतर्क और सावधान रहना होगा। हमें कलंकित करने के नित्य नये-नये प्रयास हो रहे हैं। यह बिहार विधान सभा परिसर से शुरू हुई घटना भी उसी की एक कड़ी है। इस तरह की घटना कहाँ तक जायेगी या किसके घर तक पहुँचेगी, इसकी कल्पना भी हम लोग नहीं कर सकते हैं। इस तरह की नकारात्मक बातों को बहुत सहजता से हम तूल देकर प्रचारित नहीं करें। इस नकारात्मक प्रचार से न सिर्फ हमारी छवि धूमिल होगी, बल्कि लोकतंत्र के इस पवित्रतम मंदिर बिहार विधान सभा की छवि धूमिल हुई है और आगे भी होगी।
यह ध्यान रखें, हम शेर की सवारी कर रहे हैं, राजनीति पूरी तरह शेर की सवारी है, जबतक आप सर्तक, सजग और सावधान रहकर नैतिक मूल्यों का पालन करते हुए जनता के विश्वास पर राजहित की समस्याओं पर गंभीरता के साथ विमर्श करेंगे तबतक आपकी प्रतिष्ठा बरकरार रहेगी हम इससे भटकेंगे तो शेर कभी माफ नहीं करता है, हमारा प्राण ले लेगा । संविधान की गरिमा गिर जायेगी, हम सब तार-तार हो जायेंगे
इसलिए यह आवश्यक है कि हम सदन की गरिमा को बनाये रखने के लिए नैतिक मूल्यों का सर्वोच्च मानदंड स्थापित करते हुए अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन करें सत्ता पक्ष हो या विपक्ष शालीनता और मर्यादा को बनायें रखें। सबकी मर्यादा बचे, यह हम सब की जिम्मेदारी है। इस सदन से फिर से एक सकारात्मक संदेश समाज में जाये। आईये हम सब इसका संकल्प लें। भय बीमारी को बढ़ा देता है। हम सभी योद्धाओं को युद्ध के मैदान में जाने के पहले अपने अस्त्र-शस्त्र और प्रतिरोधात्मक क्षमता से सुसज्जित होकर कोरोना महायुद्ध से लड़ना है।डरना नहीं लड़ना है । सतर्कता और सावधानी के साथ युद्ध जीतकर समाज राष्ट्र की रक्षा करने का संकल्प लेना है।


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